अपराध बनाम राजनीति।
अपराध क्या है? राजनीति क्या है? क्या दोनों एक दूसरे के पर्याय हैं, या फिर पूरक हैं? अपराध के बिना राजनीति के क्या मायने हैं और राजनीति की अनुपस्थिति में अपराध के क्या मायने हैं? इन बातों पर सोच रहा हूँ। सुबह का समय है। बेंगलूर का मौसम अभी बेतुका सा है। वो जो बच्चा होता है घर में, जिसे किसी ने बताया नहीं कि मेहमान के आने पर क्या करना होता है, मौसम का हाल अभी कुछ वैसा ही है। बारिश हो रही है और नहीं भी। हैइसेंबर्ग साहब को यह मौसम ज़रूर भाता।