Darkness was beginning to fall upon the lawns of Royal Orchid hotel, Bangalore. With the onset of winter, the chill in the air was apparent on the skin in despair. It helped that I was at the Bangalore Literature Festival, 2016. Authors, thought leaders, and opinion makers kept the evening warm. Continue reading ““I don’t define myself” – Piyush Mishra”
तैमूर-Timur-Lang-Langda Tyagi और नाम में क्या रक्खा है?
लंगड़ा त्यागी ने अपने लड़के का नाम तैमूर रखा है। इस से ट्विट्टर वालों का मुंह फूल गया है। गुस्से की वजह है – तैमूर का मतलब होता है लोहा। कोई अपने बच्चे का नाम लोहा कैसे रख सकता है? लोहा अली खान पटौडी – कैसा अटपट नाम रख दिया है! जब चाँद, सोना जैसे नाम उपलब्ध थे, तो ये लोहा क्या सोच कर रख दिया ? Continue reading “तैमूर-Timur-Lang-Langda Tyagi और नाम में क्या रक्खा है?”
पिलपिलाते हुए आम लोग।
ज़िन्दगी है, ज़िन्दगी में मुलाकातें भी होती रहतीं हैं। मुलाकातें होतीं हैं तो बातें भी चल पड़तीं हैं। हम हिन्दुस्तानी राय रखने में ऐसे भी बड़े आगे हैं। राजनीति, क्रिकेट, मज़हब, चलचित्र- आप बस मुद्दा उठाइये और चार पाँच विशेषज्ञ तो आपको राह चलते मिल जाएंगे। पान थूकते, तम्बाकू चुनाते, ताश खेलते विशेषज्ञ से शायद पाठक का भी पाला पड़ा ही होगा। तेंदुलकर को किस बॉल पर क्या मारना चाहिए, ये मेरे कॉलोनी के गार्ड से बेहतर शायद ब्रैडमैन को भी ना मालूम हो। Continue reading “पिलपिलाते हुए आम लोग।”