It was during the Bangalore literature Festival that I first heard of Bara. This book of U.R. AnanthaMurthy was discussed by a panel moderated by Chandan Gowda. Chandan Gowda indeed has translated this super short novella into English from Kannada. I had no idea what Bara was about during the panel discussion but what got me interested in it was the mention of a string of thoughts as experienced by the protagonist, an IAS officer of a drought stricken district. Continue reading “Bara – A Commoner’s Review”
वैलेंटाइन’स डे, अम्मा, और हमारा प्यार।
फिल्म डॉन में अमिताभ बच्चन ने दो भूमिकाएँ निभायी हैं। उनमें से पहला किरदार नकारात्मक है। डॉन एक बहुत खतरनाक अपराधी है और उसके ही शब्दों में ११ मुल्कों की पुलिस उसका पीछा कर रहीं होतीं हैं। फिल्म शोले में जय और वीरू टुच्चे चोर हैं। फिल्म डर में शाहरुख़ खान ने एक बेहद संगीन और जुनूनी आशिक़ का किरदार निभाया है। फिल्म स्पेशल छब्बीस में अक्षय कुमार ने एक ठग का किरदार निभाया।
ये सब मैं आपको क्यूँ बता रहा हूँ? इस से पहले कि मैं उसका जवाब दूँ, मैं एक बात और बता देता हूँ। अभिनेता प्राण शायद अब तक के सबसे हरफनमौला कलाकार रहे हैं। कहा जाता है कि उनके नकारात्मक किरदारों को इतनी नफरत मिली कि एक वक़्त पर दर्शकों को यकीन हो गया कि प्राण निजी ज़िन्दगी में भी वही हाथ में चाबुक लेकर घूमने वाले पूंजीवादी हैवान हैं जो गरीब किसानों का खून पीता है। लोगों ने अपने बच्चों का नाम प्राण रखना बंद कर दिया। Continue reading “वैलेंटाइन’स डे, अम्मा, और हमारा प्यार।”