हम इस हमले की कड़ी निंदा करते हैं। (कड़ी निंदा सन्देश )

लांस नायक राघव यादव आतंकवाद के शिकार हो गए। कश्मीर में ड्यूटी पर कोई उन्नीस बीस साल के लौंडे ने गोलियों से छलनी कर दिया। बन्दूक उनके पास भी थी, पर उसको चलाने पर पाबंदी थी सरकार की तरफ से। इस से पहले कि ये समझ पाते कि सरकार जाये भाँड़ में, बन्दूक निकालो और गोली मारो, लड़के ने गोली चला दी थी। शहीद हो गए ।
सलामी के बाद शव को परिवार वालों को सौंप दिया गया। साथ में एक चिट्ठी भी थी जिसमें कुछ ऐसा लिखा था –

प्रिय रेखा

हमारा सर्दी खांसी अभी पहले से बेहतर है। तुम कैसी हो? अच्छा ज़्यादा न्यूज मत देखना। हालत खराब है यहाँ पर । माँ को मालूम होगा तो घबरा जायेगी । अच्छा, एक बात सुनोअगर ड्यूटी करते वक़्त हमको कुछ हो जाता है तो हमको फिर से जिंदा करने काएक उपाय है। प्रधानमन्त्री जी से अगर कड़ी निंदा सन्देश लाकर हमारे कानों में कही जाएगी तो हम ज़िंदा हो जायेंगे फिर से। येबात ध्यान रखना। नीचे देखो, सन्देश बिलकुल ऐसा ही होना चाहिए। ज़रा भी इधर उधर होने से ये काम नहीं करेगा

“आज हमारे कुछ जवान देश की सेवा में शहीद हो गए हैं। हमारा देश उनके बलिदान को कभी नहीं भुला पायेगा। मित्रों, इसी के साथ मैं इस हमले की कड़ी निंदा भी करना चाहूंगा और हमारे पड़ोसी मुल्क को ये चेतावनी देता हूँ कि आतंकवाद का समर्थन बंद करे वरना चूहे मारने की दवा हमारे पास है। लांस नायक यादव को मेरी कोटि कोटि श्रद्धांजलि ।”

बिलकुल ऐसे ही होना चाहिए ये सन्देश, ज़रा भी इधर उधर नहीं। माँ का ख़याल रखना।

तुम्हारा रघु।

नायक यादव की पत्नी रेखा के चेहरे पर ख़ुशी की लहर आ गयी। अपने आँसुओं को पोंछ कर उसने घरवालों को वो चिट्ठी दिखाई। बैठक हुई और फैसला लिया गया कि प्रधानमन्त्री जी से कड़ी-निंदा सन्देश लेकर शव के कानों में पढ़ा जाएगा। पिताजी ने दिल्ली जाने का फैसला लिया। झंझारपुर से दिल्ली का सफर तय करके वो प्रधानमन्त्री कार्यालय पहुँचे। बाहर खड़े सिपाहियों ने थोड़ी बातचीत के बाद हालात की गंभीरता को देखते हुए अंदर जाने दिया। अंदर में बड़े बाबू ने चिट्ठी पढ़ी और कहा – “ये तो रक्षा मंत्रालय का मामला है, आप रक्षा सचिव से मिलिए, उनसे ये सन्देश लिखवा लीजिये।”
पिताजी ने दो टूक कह दिया कि सन्देश तो प्रधानमन्त्री जी से ही चाहिए। बड़े बाबू ने कंप्यूटर पर सॉलिटेयर(ताश) का नया गेम शुरू करते हुए कहा – “कम से कम एक दस्तखत ले आईये रक्षा विभाग से, काम जल्दी आगे बढ़ेगा।”
यादव जी को बात ठीक लगी सो वो रक्षा मंत्रालय पहुँचे। पर कुछ ख़ास फायदा नहीं हुआ। वहाँ तो दरबानों ने ही अंदर नहीं जाने दिया, कहा -“चचा, आपका बेटा इंसान था न?”
यादव जो को बात समझ नहीं आयी।
“हाँ, तो मान लेते हैं आपका बेटा इंसान था, उस हिसाब से आपको तो मानव संसाधन विकास मंत्रालय जाना चाहिये। यहाँ आपकी दाल नहीं गलेगी ।”

यादव जी को बात ठीक ही लगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पहुँचे। वहाँ कुछ पढ़े लिखे लोगों का जमावड़ा था। दरवाज़े पर दो चौकीदार एन.सी. ई .आर.टी की किताबों पर अपनी अपनी राय रख रहे थे। हाल ही में निकली इतिहास की किताबों में प्रधानमन्त्री जी को बजरंगबली का अवतार बताया गया था और पहला हवाई जहाज़ हमारे देश में बना, इसके प्रमाण में बजरंगबली के गदे को चित्रित किया गया था। कंधे पर रक्खें और उड़ जाएँ। अध्याय के अंत में ये साबित कर दिया गया था कि आज भी हमारे प्रधानमन्त्री जहाज़ में इतना इसलिए उड़ते हैं क्योंकि वो कभी बजरंगबली हुआ करते थे। दोनों चौकीदार वामपंथी लग रहे थे, बार बार मार्क्स को हवाई जहाज़ का निर्माता-पिता बताते। यादव जी से और नहीं रहा गया। दखल देते हुए बोले कि उन्हें मंत्री जी से दस्तखत लेनी है। दोनों चौकीदार हँसने लगे, यादव जी से भाग निकलने को कहा। दरअसल ये दोनों आई.आई.टी. से प्रोफेसर पद से रिटायर्ड होकर कोई नौकरी की खोज में आये थे। मंत्री मैडम जी ने चौकीदार बना दिया।

यादव जी ने भागना ही उचित समझा। वापस प्रधान मंत्री कार्यालय गए। जैसे ही ये दरवाज़े से अंदर गए कि गृह मंत्री बाहर की ओर आये। दोनों की नज़रें मिलीं और गृह मंत्री ने कहा – “आप यादव जी हैं न ! हाँ, मैं था वहाँ जब सलामी दी जा रही थी। आपके बेटे की शहादत हम कभी नहीं भूल सकते। और प्रधानमंत्री जी ने हमले की कड़ी निंदा भी कर दी है। कहिये क्या सेवा कर सकते हैं आपकी ?”
यादव जी की आस जगी। उन्होंने चिट्ठी मंत्री जी को पढ़ाई। मंत्री जी ने कहा कि ये काम तो वो भी कर सकते हैं। जब से ओप्पोसिशन से सरकार में आये हैं, यही काम तो कर रहे हैं। कड़ी निंदा सन्देश खूब लिखना जानते हैं। तुरंत हूबहू कड़ी निंदा सन्देश लिखकर यादव जी के हाथ में थमा दी। यादव जी ने कहा कि ये मेरे बेटे की मौत और ज़िन्दगी का सवाल है। चिट्ठी तो प्रधानमन्त्री जी से लेनी पड़ेगी। गृह मंत्री ने अपने मंत्रालय के नंबर दो मंत्रालय होने का हवाला दिया और कहा कि ऐसे काम प्रधानमंत्री वापस उनके पास ही भेजते हैं। हम सालों से ऐसे कड़ी निंदा वाले सन्देश देशवासियों के लिए लिखते रहे हैं।
“वो क्या है न प्रधानमंत्री जी तो व्यस्त रहते हैं, सो पोस्टल विभाग हमें ही दे दिया है। फिर भी आप पूछताछ कर लीजिये। ये नोट लेकर जाइए, प्रधानमंत्री ऑफिस में दाखिला मिल जाएगा ।” यादव जी की जान में जान आयी। गृह मंत्री की पैरवी वाली नोट लेकर दाखिला मिल गया। प्रधान-सचिव के पास दरख्वास्त भेजी गयी। कुछ एक-आध घंटे बाद, चिट्ठी आ गयी।
प्रधानमंत्री जी की मेज़ से –

आज हमारे कुछ जवान देश की सेवा में शहीद हो गए हैं। हमारा देश उनके बलिदान को कभी नहीं भुला पायेगा। मित्रों, इसी केसाथ मैं इस हमले की कड़ी निंदा भी करना चाहूंगा और हमारे पड़ोसी मुल्क को ये चेतावनी देता हूँ कि आतंकवाद का समर्थन बंदकरे वरना चूहे मारने की दवा हमारे पास है। लांस नायक यादव को मेरी कोटि कोटि श्रद्धांजलि

यादव जी ने चिठ्ठी को सहेज कर एक डिबिया में बंद किया और वापस अपने घर पहुंचे। ये सब होते होते करीब एक महीना निकल गया था । बेटे का शव बर्फ में रखा था। पत्नी ने चिट्टी निकाली और नायक यादव के कानों में सुनाया। सभी नायक यादव के उठने का इंतज़ार करने लगे।
मेहमानखाने में टीवी पर समाचार बुलेटिन चल रहा था – भारतीय प्रधानमंत्री ने अमरीका में अपना लोहा मनवाया। अमरीका ने भी माना हमारे प्रधानमंत्री को बजरंगबली का अवतार।

यादव जी कमरे में गए। वहाँ टीवी में भारत के प्रधानमंत्री को अमरीका के राष्ट्रपति गदा देकर सम्मानित कर रहे थे।
सभी कमरे में आए। अभी तक लगभग सभी ने चिट्ठी नायक यादव की कान में पढ़ दी थी। नायक यादव नहीं उठे ।
यादव जी ने चिट्ठी मंगवाई। उस पर प्रधानमंत्री जी के हस्ताक्षर नहीं थे, हाँ हस्ताक्षर का रबर स्टाम्प था। यमलोक में बिना असली हस्ताक्षर के चिट्ठी मान्य नहीं की गयी। प्रधानमंत्री जी अमरीका में थे। नायक यादव यमलोक में। सांत्वना सन्देश मिला, कड़ी निंदा भी हुई, पर नायक वापस नहीं आ सके।
यादव जी सर पर हाथ धरकर बेटे की अंतिम संस्कार की तैयारी में लग गए।
बात को करीब दो साल बीत गए। समाचार आया कि कश्मीर के बारामुला में सत्रह जवानों को आतंकवादियों ने ढेर कर दिया। प्रधानमंत्री अब की बार सरप्राइज दौरे पर पाकिस्तान में थे। आतंकियों ने उनको सरप्राइज कर दिया। प्रधान सचिव ने होशियारी दिखाई। कड़ी निंदा वाली प्रेस विज्ञप्ति चैनलों को थमा दी। अगले पाँच दिनों तक यादव जी की चिट्ठी एक संशोधन के साथ सभी चैनलों पर चलती रही –

आज हमारे कुछ जवान देश की सेवा में शहीद हो गए हैं। हमारा देश उनके बलिदान को कभी नहीं भुला पायेगा। मित्रों, इसी के साथ मैं इस हमलेकी कड़ी निंदा भी करना चाहूंगा और हमारे पड़ोसी मुल्क को ये चेतावनी देता हूँ कि आतंकवाद का समर्थन बंद करे वरना चूहे मारने की दवा हमारेपास है। लांस नायक यादव शहीदों को मेरी कोटि कोटि श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री हस्ताक्षर (रबर स्टाम्प)
भारत सरकार

Picture Credits – Indian Express(Only for illustrative purposes.)

Another open letter to Shri Rahul Gandhi

Dear Shri Rahul Gandhi

I am angry and this is a serious letter. So I am not going to throw cheap banters at you. I have also consciously decided to not throw any personal insult at you. I will go ahead with this letter with an assumption that this country has to put up with you till some real leader is allowed to surface on the national scene from your party.

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